सम्भ्वन की शाश्वतता में प्रत्येक अवतार एक अधिक पूर्ण सिद्धि का उद्घोषक और अग्रदूत होता है।
फिर भी लोगों में हमेशा यह वृत्ति रहती है कि भविष्य के अवतार के विरुद्ध भूतकाल के अवतार की पूजा करें।
अब फिर से श्रीअरविंद जगत के सामने आगामी कल की उपलब्धि की घोषणा करने आए हैं, और फिर से उनके संदेश का उसी तरह विरोध हो रहा जैसा उनसे पहले आने वालों का हुआ था।
लेकिन आगामी कल उनके द्वारा प्रकाश में लाये गए सती को प्रमाणित करेगा और उनका कार्य पूरा होगा।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…