श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

अभिव्यंजना और अभिव्यक्ति 

एक क्षण के लिए भी यह न भूलो कि यह सब स्वयं भगवान् ने अपने आपमें से बनाया है । वे केवल हर चीज में उपस्थित ही नहीं हैं अपितु स्वयं हर चीज हैं । भेद केवल अभिव्यंजना और अभिव्यक्ति में है ।

अगर तुम यह भूल जाओ तो सब कुछ खो बैठोगे ।

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग – ३)

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले