हम इस समय फिर एक बार पृथ्वी के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ पर हैं। सब ओर से लोग मुझसे पूछ रहे हैं : ”अब क्या होने-वाला है?” हर जगह तीव्र व्यथा, प्रतीक्षा, भय की स्थिति है। ”अब क्या होने वाला है? ”
… इसका उत्तर, बस, एक ही है : ”यदि मानव आध्यात्मिक होने के लिये बस, तैयार हो जाये।”
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९५७-१९५८)
भगवान को अभिव्यक्त करने वाली किसी भी चीज को मान्यता देने में लोग इतने अनिच्छुक…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…