सच्चाई के साथ अपने-आपको खोलो। इसका अर्थ यह है कि बिना अपने अन्दर कुछ भी छिपाये हुए, पूरी तरह खोलो; ऐसा न करो कि अपना एक भाग तो भगवान के कर्म को दो और बाक़ी सब अपने पास रखो। आंशिक उत्सर्ग तो करो, परंतु अपनी प्रकृति की अन्य क्रियाओं को अपने लिए बचाये  रखो। सब कुछ पूरी तरह खुला होना चाहिये; अपने किसी भाग को छिपाये रखना या उसे भगवान की ओर से बंद रखना कपट है।

निष्ठा के साथ अपने-आपको खोलो। इसका अर्थ है, हमेशा पूरी तरह और सतत रूप से अपने-आपको खुला रखो, यह नहीं कि एक दिन तो खुले रहो और दूसरे दिन मुंद जाओ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 

शेयर कीजिये

नए आलेख

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले