… परिवेश का निश्चय ही व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता है… यही कारण है कि तुम जहां रहो वहाँ अपना एक वातावरण बना लो (निश्चित रूप से उचित तरीके का वातावरण) और उसे बनाये रखो, तब तुम देखोगे कि सभी दूसरे अनुचित स्पंदन वातावरण से झड़ जायेंगे।
संदर्भ : श्रीअरविंद अपने विषय में
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…