अगर तुम कुछ न करो तो तुम्हें अनुभव नहीं हो सकता। सारा जीवन अनुभव का क्षेत्र है। तुम्हारी हर एक गति, तुम्हारा हर एक विचार, तुम्हारा हर एक कार्य एक अनुभूति हो सकता है, और उसे अनुभूति होना ही चाहिये; और स्वाभाविक है कि विशेष रूप से कार्य अनुभव का क्षेत्र है जहाँ तुम आन्तरिक प्रयास से की गयी सारी प्रगति को प्रयोग में ला सकते हो ।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५५
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…