जो कुछ ग्रहणशील नहीं है वह सब कुचले जाने का अनुभव करता है, लेकिन जो ग्रहणशील है वह इसके विपरीत एक… एक प्रबल विस्तार का अनुभव करता है।
एक ही समय में दोनों।…
हां, जो चीज कुचली जाती है वह, वह चीज है जो प्रतिरोध करती है, जो ग्रहणशील नहीं है। उसे केवल अपने-आपको खोल देना है। तब वह चीज मानों… दुर्जेय वस्तु बन जाती है…। यह असाधारण है। यह हमारी शताब्दियों की आदत है, है न, जो प्रतिरोध करती है और ऐसा संस्कार देती
है। लेकिन जो कुछ भी खुल जाता है… व्यक्ति को ऐसा लगता है मानों वह बड़ा, बड़ा, बड़ा होता जा रहा है…। यह बहुत भव्य है। ओह ! यह…
सन्दर्भ : पथ पर
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…