मधुर माँ, मुझे अपने काम पर विश्वास नहीं है। मैं बहुत शर्मिला हूँ, मेरा खयाल है कि प्रगति करने के लिए आदमी को ज़्यादा हिम्मतवाला होना चाहिये।
तुम्हें ज़्यादा हिम्मतवाला नहीं, ज़्यादा अध्यवसायी और दृढ़ होना चाहिये।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
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