व्यक्तिगत इच्छा का रूपान्तरण
सबसे पहले हमें अपनी इच्छा को श्रीमाँ की इच्छा के साथ युक्त कर देना चाहिए और यह समझना चाहिए कि यह केवल यंत्र है और...
सबसे पहले हमें अपनी इच्छा को श्रीमाँ की इच्छा के साथ युक्त कर देना चाहिए और यह समझना चाहिए कि यह केवल यंत्र है और...
जब कोई विशेष कार्य करना होता है तब अवतार की आवश्यकता होती है। अवतार विशेष अभिव्यक्ति होते हैं जब कि बाकी समय सामान्य मनुष्य के...
प्रकृति के जिस दिव्यीकरण की बात हम कर रहे हैं वह पूरी तरह से काया-पलट है – न केवल किसी तरह की अतिमानवता में विकास...
इस आश्रम की स्थापना का उद्देश्य वह नहीं हैं जो साधारणतया ऐसी संस्थाओं की स्थापना का हुआ करता है । संसार को त्यागने के लिए...
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें अनुभूति पाने की कुछ क्षमता हो, बाहर से यहाँ आते...
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह न तो अपने प्रति सच्चा है और ना ही प्रकृति...
सब कुछ माताजी पर छोड़ देना, पूर्ण रूप से उन्ही पर भरोसा रखना और उन्हें लक्ष्य की ओर ले जाने वाले पथ पर अपने को...
तुम्हें बस शान्त-स्थिर और अपने पथ का अनुसरण करने में दृढ़ बनें रहना है और तुम अन्त तक पहुँच जाओगे। यदि तुम ऐसा करो तो...
… सामान्य व्यक्ति में ऐसी बहुत-से चीज़ें रहती हैं, जिनके बारे में वह सचेतन नहीं रहता, क्योंकि प्राण उन्हें मन से छिपाता है और उन्हें...
भगवान हमें जो दु:ख देता हैं उसके चार स्तर होते हैं : (१) जब वह केवल दु:ख ही होता है ; (२) जब वह एक...