
माताजी की ओर खुलना
हम चाहें श्रीअरविंद को लिखें या श्रीमाँ को, क्या यह एक ही बात है ? कुछ लोग कहते हैं कि दोनों एक ही हैं, इसलिए...
हम चाहें श्रीअरविंद को लिखें या श्रीमाँ को, क्या यह एक ही बात है ? कुछ लोग कहते हैं कि दोनों एक ही हैं, इसलिए...
मार्गदर्शक स्वयं तुम्हारें अपने अन्दर है। यदि तुम केवल ‘उसे’ पा सको और ‘उसकी’ आवाज़ सुन सको, तब तुम यह नहीं पाओगे कि लोग तुम्हारी...
प्रायः ही श्रीअरविंद कहते हैं कि व्यक्ति को श्रीमाँ की शक्ति को शासन करने देना चाहिये । क्या इसका यह अर्थ है कि दोनों की...
हमारे योग में एकाग्रता का मतलब है जब चेतना किसी विशेष स्थिति में (जैसे शांति में) या किसी क्रिया में (जैसे अभीप्सा, संकल्प, श्रीमाँ के...
तुम माँ के बच्चे हो और माँ का अपने बच्चों के प्रति प्रेम असीम होता है, और वे उनके स्वभाव के दोषों को बड़े धीरज...
योग करने के लिए हमेशा मुंह गंभीर बनाये रखना या चुप रहना आवश्यक नहीं है, पर आवश्यक है कि योग को गंभीरतापूर्वक लिया जाये और...
आत्म-विश्वास के बिना तुम कभी कुछ नहीं कर सकते … क्योंकि साधना के प्रारम्भिक बेचैनी-भरे वर्षों में तुम्हारे पास और कोई सहारा नहीं होता, जब...
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा कामना की अनुपस्थिति। इसके सिवाय सचमुच और कोई आराम नहीं...
तुम्हें हमेशा यह श्रद्धा रखनी चाहिये कि निम्न प्रकृति उभरने की चाहे जितनी कोशिश करे, चाहे जितने विरोधी प्रहार हों, विजय तुम्हारी ही होगी और...
जब मानसिकता पीछे छूट जाती है तथा निष्क्रिय नीरवता में दूर चली जाती है, केवल तभी अतिमानसिक विज्ञान का पूर्ण उद्घाटन और उसकी प्रभुत्व-सम्पन्न तथा...