
रहस्य-ज्ञान – ९
पृथ्वी की पंखदारी कल्पनाएं स्वर्ग में सनातन सत्य के अश्व हैं, आज की असम्भावना भावी पदार्थों के भागवत संकेत हैं। संदर्भ : “सावित्री”
पृथ्वी की पंखदारी कल्पनाएं स्वर्ग में सनातन सत्य के अश्व हैं, आज की असम्भावना भावी पदार्थों के भागवत संकेत हैं। संदर्भ : “सावित्री”
हम अज्ञात से बाहर निकलते हैं, अज्ञात में लौट जाते हैं। संदर्भ : “सावित्री”
अपने अन्तर में हम सतत एक जादुई चाबी छिपाये रहते हैं यह जीवन के प्राण-रुद्ध एक खोल में बन्द है। संदर्भ : “सावित्री”
हमारी बाहरी घटनाओं के कारण-बीज हमारे अन्तर में हैं, और इस उद्देश्यहीन दैवनियति का भी है जो विधि के संयोगसम दिखती है, हमारी बौद्धिकता से...
हमारे जीवनों के रूप का आकार गढ़ने वाली ये घटनाएं अवचेतना के स्पन्दनों की एक शून्यमात्र हैं जिन्हें हम कदाचित् ही अनुभव कर पाते या...
हमारा क्षेत्र बहिर्मुखी तात्कालिकता का है, और मृत भूतकाल हमारी पृष्ठभूमि तथा आधार है; मन अन्तरात्मा को बन्दी बना रखता है, हम अपने कर्मों के...
इस परिपूर्ण शक्ति-चाप के अन्दर हमारा सीमित क्षेत्र निश्चित है हमारे निरीक्षण और स्पर्श बोध की तथा विचार के अनुमान की सीमा है और विरले...
उसके विवेक कीसाथिन एक संघर्ष-रत अविद्या है: अपने कर्मों का परिणाम देखने की वह प्रतीक्षा करता है, अपने विचारों की सत्यता को परखने की वह...
सृष्टि का स्वामी हमारे अन्तर में छिपा बसता है और अपनी आत्म चित्शक्ति के साथ लुका-छिपी खेलता है; रहस्यमय परमेश्वर विश्व-प्रकृति में उसका साधन बन...