श्रीमाँ की प्रार्थना

“यह रही में।”

प्रभो, मैं तेरे सम्मुख हूं, दिव्य ऐक्य की धधकती अग्नि में प्रज्वलित हवि की तरह हूँ।... और इस तरह जो…

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मेरी भेंट को अस्वीकार न कर

. . . (हे प्रभो!)  तू यह निश्चय कब करेगा कि इस सारे प्रतिरोध के ग़ायब होने का समय आ…

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तेरा आश्वासन

मेरे हृदय की निश्चलता में तेरी आवाज़ सुरीले राग की तरह सुनायी देती है और मेरे मस्तिष्क में ऐसे शब्दों…

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सुबह की प्रार्थना

हे दिव्य स्वामी, वर दे कि हमारे लिए यह दिन, तेरे विधान के प्रति अधिक पूर्ण उत्सर्ग की ओर उद्घाटन…

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प्रार्थना

जो होना चाहिये उसके आगे अब तक जो कुछ सोचा या प्राप्त किया गया है वह सामान्य, अति तुच्छ और…

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प्रार्थना

मेरी अभीप्सा  तेरी ओर उठ रही है, अपने रूप में सदा वैसी ही बचकानी, अपनी सरलता में अतिसामान्य, लेकिन मेरी…

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नयी स्थिति

मुझे लगता है कि हम तेरे मंदिर के गर्भगृह के हृदय में जा पहुंचे हैं और तेरी ही इच्छा के…

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