श्रीअरविंद (खण्ड २१)

मानव यात्रा

दिव्य जीवन की ओर आरोहण ही मानव यात्रा है, कर्मों का 'कर्म' और स्वीकार्य 'यज्ञ' है। जगत में मनुष्य का…

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हमारी वास्तविक सत्ता तथा इसके यन्त्र

मनुष्य अपनी वास्तविक प्रकृति में... एक आत्मा है जो मन, प्राण तथा शरीर का उपयोग व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अनुभव के…

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योग का कार्य

सभी धर्म इस धारणा से आरम्भ होते हैं कि हमारे सीमित और मरणशील व्यक्तित्वों से महत्तर और उच्चतर कोई शक्ति…

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