
श्रीकृष्ण में निवास
श्रीकृष्ण में निवास करने पर शत्रुता भी प्रेम की ही एक क्रीडा तथा भाइयों का मल्ल्युद्ध बन जाती है । संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली...
श्रीकृष्ण में निवास करने पर शत्रुता भी प्रेम की ही एक क्रीडा तथा भाइयों का मल्ल्युद्ध बन जाती है । संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली...
तुम सदा सही काम कर सको इसके लिए यदि तुम बहुत अधिक चाहते हो कि तुम्हें चेतना मिले और इसके लिए तुम अभीप्सा भी करते...
यदि तुम्हारी अंतरात्मा सर्वदा रूपांतर के लिए अभीप्सा करती है तो बस उसी का अनुसरण तुम्हें करना होगा । भगवान को खोजना या यों कहें...
जो कुछ मनुष्य सच्चाई के साथ और निरंतर भगवान् से चाहता है, उसे भगवान् अवश्य देते हैं। तब यदि तुम आनंद चाहो और लगातार चाहते...
अचंचल मन का अर्थ यह नही है कि उसमें कोई विचार या मनोमय गतियाँ एक- दम होगी ही नही, बल्कि यह अर्थ है कि ये...
श्रीमाँ की ओर खुले रहने का तात्पर्य है बराबर शांत-स्थिर और प्रसन्न बने रहना तथा दृढ़ विश्वास बनाये रखना न कि चंचल होना, दुःख करना या...
माताजी की सतत उपस्थिति अभ्यास के द्वारा आती हे; साधना में सफलता पाने के लिये भागवत कृपा अत्यंत आवश्यक है, पर अभ्यास ही वह चीज है जो...