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श्रीअरविंद के पत्र

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आलोचना की आदत
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आलोचना की आदत

by श्रीअरविंद 6 दिन ago6 दिन ago
भगवान पर भरोसा
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भगवान पर भरोसा

by श्रीअरविंद 4 सप्ताह ago4 सप्ताह ago
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    श्रीअरविंद के पत्र
    श्रीअरविंद के वचन

    बातचीत के दौरान ध्यान रखने वाली बातें

    … इन परिवेशों में और इस तरह की बातचीत के दौरान जो चैत्य आत्म-संयम वाञ्छनीय है उसमें दूसरी चीज़ों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों का भी...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 510
    श्रीअरविंद के वचन

    कौन सा व्यक्तिगत प्रयास

    श्रीमाँ को अपने अंदर कार्य करने देने के लिए मुझे कौन सा व्यक्तिगत प्रयास करने की आवश्यकता है ? आवश्यकता है अपने-आपको सही चीजों –...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    आन्तरिक मनोवृत्ति

    साधक को हमेशा यह याद रखना चाहिये कि प्रत्येक वस्तु आन्तरिक मनोवृत्ति पर निर्भर करती है; यदि उसे भागवत कृपा पर सम्पूर्ण श्रद्धा हो तो...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    आध्यात्मिक प्रगति

    आध्यात्मिक प्रगति बाह्य परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, जैसी कि हम आन्तरिक रूप से परिस्थितियों के बारे में प्रतिक्रिया करते हैं यह सदा ही आध्यात्मिक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    Sri Aurobindo in his room
    श्रीअरविंद के वचन

    अभीप्सा का तात्पर्य

    अभीप्सा का तात्पर्य है, शक्तियों को पुकारना । जब शक्तियाँ प्रत्युत्तर दे देती हैं, तब शान्त-स्थिर ग्रहणशीलता की, एकाग्र पर स्वतःस्पर्श ग्रहणशीलता की एक स्वाभाविक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में
    श्रीअरविंद के वचन

    विनम्रता

    निस्संदेह, तुम (महान हुए बिना) योग कर सकते हो। महान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके विपरीत, विनम्रता सबसे पहली आवश्यकता है, क्योंकि जिस...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    महर्षि श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    भागवत तत्त्व आवश्यक वस्तुओं को लिये चलता है

    जब चैत्य शरीर से विदा लेता है, अपने विश्राम-स्थल की ओर जाते हए मन और प्राण की केंचुली को भी झाड़ता जाता है, उस समय,...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    समुचित मार्ग

    (अधिकतर साधक) अहंकारी होते हैं और वे अपने अहंभाव को अनुभव या स्वीकार नहीं करते। उनकी साधना में भी ‘मैं’ का भाव हमेशा प्रत्यक्ष रूप...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    रूपान्तर की अवस्थाएँ

    भागवत चेतना की विभिन्न अवस्थाएँ होती हैं। रूपांतर की भी विभिन्न अवस्थाएँ होती है। पहली है, चैत्य रूपांतर, जिसमें चैत्य चेतना के द्वारा सभी कुछ...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में
    श्रीअरविंद के वचन

    ध्यान में दो सामान्य कठिनाइयां

    मन हमेशा सक्रिय रहता है, किन्तु हमलोग पूरी तरह से यह नहीं देखते कि यह क्या कर रहा है, पर हम अपने-आपको सतत सोच-विचार के...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago

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    योग

    योग

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    भगवती माँ की कृपा

    भगवती माँ की कृपा

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    श्रीमाँ का कार्य

    श्रीमाँ का कार्य

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    भगवान की आशा

    भगवान की आशा

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    जीवन का उद्देश्य

    जीवन का उद्देश्य

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    दुश्मन को खदेड़ना

    दुश्मन को खदेड़ना

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    आलोचना की आदत

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    कृतज्ञता

    कृतज्ञता

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    अनुशासन

    अनुशासन

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    भागवत मुस्कान का ध्यान

    भागवत मुस्कान का ध्यान

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    मनोबल

    मनोबल

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    तुम्हारा चुनाव

    तुम्हारा चुनाव

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    खिन्नता

    खिन्नता

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    मेरी इच्छा

    मेरी इच्छा

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    ज्ञान

    ज्ञान

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    मानसिक रूपायण

    मानसिक रूपायण

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    नयी चीज़ का डर

    नयी चीज़ का डर

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    युवकों को आह्वान

    युवकों को आह्वान

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