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श्रीअरविंद के पत्र

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सच्चा आराम
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सच्चा आराम

by श्रीअरविंद 6 दिन ago6 दिन ago
अच्छा यंत्र पर बुरा मालिक
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अच्छा यंत्र पर बुरा मालिक

by श्रीअरविंद 2 सप्ताह ago2 सप्ताह ago
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    Sri Aurobindo in his room
    श्रीअरविंद के वचन

    अभीप्सा का तात्पर्य

    अभीप्सा का तात्पर्य है, शक्तियों को पुकारना । जब शक्तियाँ प्रत्युत्तर दे देती हैं, तब शान्त-स्थिर ग्रहणशीलता की, एकाग्र पर स्वतःस्पर्श ग्रहणशीलता की एक स्वाभाविक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में
    श्रीअरविंद के वचन

    विनम्रता

    निस्संदेह, तुम (महान हुए बिना) योग कर सकते हो। महान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके विपरीत, विनम्रता सबसे पहली आवश्यकता है, क्योंकि जिस...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    महर्षि श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    भागवत तत्त्व आवश्यक वस्तुओं को लिये चलता है

    जब चैत्य शरीर से विदा लेता है, अपने विश्राम-स्थल की ओर जाते हए मन और प्राण की केंचुली को भी झाड़ता जाता है, उस समय,...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    समुचित मार्ग

    (अधिकतर साधक) अहंकारी होते हैं और वे अपने अहंभाव को अनुभव या स्वीकार नहीं करते। उनकी साधना में भी ‘मैं’ का भाव हमेशा प्रत्यक्ष रूप...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    रूपान्तर की अवस्थाएँ

    भागवत चेतना की विभिन्न अवस्थाएँ होती हैं। रूपांतर की भी विभिन्न अवस्थाएँ होती है। पहली है, चैत्य रूपांतर, जिसमें चैत्य चेतना के द्वारा सभी कुछ...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में
    श्रीअरविंद के वचन

    ध्यान में दो सामान्य कठिनाइयां

    मन हमेशा सक्रिय रहता है, किन्तु हमलोग पूरी तरह से यह नहीं देखते कि यह क्या कर रहा है, पर हम अपने-आपको सतत सोच-विचार के...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद के पत्र
    श्रीअरविंद के वचन

    अधिक पाने के लिये अभीप्सा

    मनुष्य को जो कुछ उसे मिलता है उससे संतुष्ट रहना चाहिये फिर भी शांत- रूप से, बिना संघर्ष के, और अधिक पाने के लिये अभीप्सा करनी...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्रीअरविंद के वचन

    भागवत शक्ति की शरण

    कृपा तथा सुरक्षा हमेशा तुम्हारे साथ रहती हैं । किसी भी आन्तरिक या बाहरी कठिनाई या कष्ट को अपने ऊपर हावी मत होने दो; रक्षक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    महर्षि श्री अरविंद का चित्र सन १९५०
    श्रीअरविंद के वचन

    उत्साह

    किसी व्यक्ति को निरुत्साहित करना अनुचित है, परंतु मिथ्या उत्साह देना अथवा किसी अनुचित वस्तु के लिए उत्साहित करना ठीक नहीं है । कठोरता का...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्रीअरविंद के वचन

    एकाग्रता का मतलब

    हमारे योग में एकाग्रता का मतलब है जब चेतना किसी विशेष स्थिति में (जैसे शांति में) या किसी क्रिया में (जैसे अभीप्सा, संकल्प, श्रीमाँ के...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago

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3 conditions of yoga auroville bases of yoga Mirra Alfassa Priti Das Gupta Sri Aurobindo Ashram sri aurobindo The Mother The Mother of Sri Aurobindo Ashram Pondicherry The Mother on Sports अध्यात्मिकता आंरोंविल आश्वासन कृपा निद्रा और स्वप्न पूर्ण योग प्रीति दास गुप्ता भागवत उपस्थिती भारत के लिये संदेश माताजी की झाकियां माताजी के वचन भाग-१ माताजी के वचन भाग-२ माताजी के वचन भाग - ३ माताजी के विषय में मातृवाणी योग योग समन्वय यौवन वयवहारिक ज्ञान साधकों के लिये विचार और सूत्र के प्रसंग में विश्वास व्यावहारिक ज्ञान साधकों के लिये शिक्षा के ऊपर श्रद्धा श्री अरविंद श्रीअरविंद श्रीअरविंद के वचन श्री अरविद श्री माँ श्री माँ अपने बारे में श्री माँ के बारें में श्री माँ के बारे में श्री माँ के संस्मरण श्री माँ शरीर के बारें में साधना साधना के संकेत श्री माँ द्वारा
  • श्रीअरविंद का चित्र
    भगवान के दो रूप

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    भगवान की बातें

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    शांति के साथ

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    यथार्थ साधन

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    सच्चा आराम

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    डरना नहीं

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    परिश्रम

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    चिंता न करो

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    जीवन का खालीपन

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    जगत से जाना ?

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    ज्योतिषियों की बात

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    यौवन

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    तेरे ज्ञान की अभीप्सा

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    पुजारियों के प्रति वृत्ति

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