अचंचलता उस अवस्था को कहते हैं जब मन या प्राण विक्षुब्ध, अशांत तथा विचारों और भावनाओं के द्वारा बहिर्गत या…
अगर मन चंचल हों तो योग की नींव डालना संभव नही। सबसे पहले यह आवश्यक है कि मन अचंचल हो…
अगर हम केवल बाहरी भौतिक चेतना में ही रहें तो सामान्यतः हम यह नहीं जानते कि हम बीमार होने जा…
समता के बिना साधना में दृढ़ आधार नहीं बन सकता। परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी अप्रिय हों, दूसरों का व्यवहार चाहे कितना…
एक बच्चे की तरह बन जाना और अपने-आपको संपूर्णतः दे देना तब तक असम्भव है , जब तक कि चैत्य…
आन्तरिक एकाग्रता की साधना में निम्नलिखित चीजें सम्मिलित हैं : १. हृदय-केन्द्र में चेतना को स्थिर करना तथा वहां भगवती…
अचंचल मन का अर्थ यह नही है कि उसमें कोई विचार या मनोमय गतियाँ एक- दम होगी ही नही, बल्कि…
... इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमारे अन्दर ऐसी श्रद्धा होनी चाहिये जिसे कोई भी बौद्धिक सन्देह विचलित…
... इन परिवेशों में और इस तरह की बातचीत के दौरान जो चैत्य आत्म-संयम वाञ्छनीय है उसमें दूसरी चीज़ों के…
श्रीमाँ को अपने अंदर कार्य करने देने के लिए मुझे कौन सा व्यक्तिगत प्रयास करने की आवश्यकता है ? आवश्यकता…