आध्यात्मिक चेतना एक नवीन चेतना है जिसे विकसित होना है और जो विकसित होती आ रही है। ...परन्तु ज्योति, शान्ति…
जब तुम प्रकाश को देखते हो तो इसे अंतर्दर्शन कहते है । जब तुम प्रकाश को अपने अन्दर प्रवेश करता…
अपनी दुर्बलताओं तथा मिथ्या गतियों को पहचानना और उनसे पीछे हटना मुक्ति की ओर जाने का मार्ग है। किसी अन्य…
बस, इसी श्रद्धा को तुम्हें अपने अन्दर विकसित करने की आवश्यकता है-युक्ति-तर्क और साधारण समझ के साथ मेल खाने वाली…
अधीनस्थ कर्मचारियों को अनुशासित करना उचित मनोभाव से किया जाना चाहिये और अधीनस्थ कर्मचारीगण भी वैसा ही महसूस करें, यह…
सच्चाई के साथ अपने-आपको खोलो। इसका अर्थ यह है की बिना अपने अंदर कुछ भी छिपाये हुए, पूरी तरह खोलो;…
निम्न प्रकृति तथा इसकी बाधाओं पर अधिक सोच-विचार करना भूल है क्योंकि यह साधना का नकारात्मक पहलू है। उन पर…
किसी भी तरह के हतोत्साह को अपने ऊपर हावी मत होने दो और 'भागवत कृपा' पर कभी अविश्वास न करो।…
साधक का अंतिम लक्ष्य क्या होना चाहिये? क्या योगी बनना नहीं होना चाहिये ? भगवान के साथ पूर्ण रूप से…
श्रीमाँ तथा श्रीअरविंद की सहायता हमेशा तुम्हारें लिए प्रस्तुत है । तुम्हें पूरी तरह से उसके प्रति मुड़ना-भर है और…