• श्रीअरविंद का चित्र

    तरु

    एक तरु रेतीले सर-तीर बढ़ाये अपने लंबे डाल अंगुलियों से ऊपर की ओर चाहता छूना गगन विशाल ।   किन्तु पायेंगे क्या वे स्वर्ग प्रणय-रस...