
एक कुर्सी
एक बार बीरेन के एक मित्र आश्रम आए। वे बीरेन के लिए बर्मा टीक की एक आराम कुर्सी बनवा कर लाए। बीरेन ने श्रीअरविंद से...
एक बार बीरेन के एक मित्र आश्रम आए। वे बीरेन के लिए बर्मा टीक की एक आराम कुर्सी बनवा कर लाए। बीरेन ने श्रीअरविंद से...
दीर्घ प्रतीक्षा के बाद आखिरकार वह क्षण आ ही गया जब चमनलाल की अभीप्सा पूरी हुई और वे प्रथम बार पांडिचेरी आश्रम आ सके। किन्तु...
आश्रम के एक साधक विश्वजीत ताल्लुकदार को साधु-संतों से मिलने का बहुत शौक था। अतः वे प्रतिवर्ष भारत भ्रमण करके साधु-संतों से भेंट करते थे।...
युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः अवतार लेते हैं और युग...
प्रातः पुष्प वितरण के समय श्रीमाँ को लगभग दो घंटे एक ही स्थान पर खड़े रहना पड़ता था। एक दिन एक साधिका प्रीति दास गुप्ता...
मोनिका चंदा अपने दोनों नेत्रों की दृष्टि खो बैठी थी। फिर भी यह वृद्ध भक्त-साधक महिला अपने वैभवमय जीवन को विस्मृत करके अकेली ही एक...
लता जौहर का एक भाई नरेंद्र किसी काम से मद्रास गया था। वहाँ पहुँचकर अचानक ही वह बहुत बीमार हो गया। उनके पिता श्री सुरेन्द्रनाथ...
२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में केवल तीन बार और बाद...
श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस कुर्सी पर सो जाती थी...
श्रीमाँ ने अपनी एक सहायिका से कहा था, “बहुत से लोग जब यहाँ आते है तब जो वस्तु उन्हें अशांत करती है, उन्हें उसी का...