
रहस्य ज्ञान – ३
इस परिपूर्ण शक्ति-चाप के अन्दर हमारा सीमित क्षेत्र निश्चित है हमारे निरीक्षण और स्पर्श बोध की तथा विचार के अनुमान की सीमा है और विरले...
इस परिपूर्ण शक्ति-चाप के अन्दर हमारा सीमित क्षेत्र निश्चित है हमारे निरीक्षण और स्पर्श बोध की तथा विचार के अनुमान की सीमा है और विरले...
उसके विवेक कीसाथिन एक संघर्ष-रत अविद्या है: अपने कर्मों का परिणाम देखने की वह प्रतीक्षा करता है, अपने विचारों की सत्यता को परखने की वह...
सृष्टि का स्वामी हमारे अन्तर में छिपा बसता है और अपनी आत्म चित्शक्ति के साथ लुका-छिपी खेलता है; रहस्यमय परमेश्वर विश्व-प्रकृति में उसका साधन बन...