
रूपांतर
सूक्ष्म लयात्मक प्रवाह में होता है मेरे श्वास का संचलन; यह मेरे अंगों को दिव्य शक्ति से करता परिपूरन : मैंने पिया है अनन्त को...
सूक्ष्म लयात्मक प्रवाह में होता है मेरे श्वास का संचलन; यह मेरे अंगों को दिव्य शक्ति से करता परिपूरन : मैंने पिया है अनन्त को...
तेरे आनन्द से अब हर दृष्टि है अमर : मेरी आत्मा सम्मोहित नयनों से करने आयी है दर्शनः फट गया एक आवरण और अब वे...