संस्मरण

खुली हुई खिड़की

एक अन्य अवसर पर जब मैगी श्रीमाँ का कमरा साफ कर रही थी, उसने एक खिड़की खोली जो दीर्घकाल से…

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टूटा गुलाब

श्रीमाँ का कमरा सजावट की वस्तुओं से हमेशा भरा हुआ होता था जो उनको बच्चो ने बड़े  प्रेम से भेंट…

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“अब कितने”

गौरी पिंटो एक बहुत कोमल बालिका थी, श्रीमाँ ने प्रेमपूर्वक उसे नित्य अपने पास आने की अनुमति दी थी ।…

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कोई दायित्व नहीं

तरुणी गार्गी कालरा आश्रम अस्थायी रूप से आयी थीं। उनके पिता ने उनसे कहा था, "तुम आश्रम जाओ तथा वहाँ…

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पुकार का प्रतुत्तर : श्रीमाँ की शल्य चिकित्सा

लगभग ७०-८० वर्ष पूर्व की बात है श्रीमाँ के एक अनन्य भक्त मुरारी बाबू को अपना एक दांत निकलवाना पड़ा।…

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भागवत कृतज्ञता

श्री पवित्र आश्रम के एक महान योगी और साधक थे। श्रीमाँ को अपने ये अनन्य भक्त और शिशु बहुत प्रिय…

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पकड़ना

श्रीमाँ एक तश्तरी में टॉफी लेकर आती थी तथा ऊपर के बरामदे में प्रतीक्षा करते हुए हर साधक को एक-एक…

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मेरी मित्र

सावित्री अग्रवाल ने १९४० के दशक के आरंभ में जब प्रथम बार श्रीअरविंद और श्रीमाँ के दर्शन किये तभी उन्होने…

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लॉर्ड ! मुझे बचाओ

श्री पृथ्वीसिंह नाहर की पुत्रवधू राजसेना अपने तीन नन्हें-मुन्नों को लेकर आश्रम में रहती थीं। एक दिन उसकी तीन वर्षीया…

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अपने शरीर को सजा मत दो

लता जौहर बचपन में प्रखर स्वभाव की बालिका थी। लगभग ५० वर्ष पूर्व की बात है, एक दिन बालिका लता…

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