श्री माँ के वचन

मानसिक रूपायण

माँ, 'क' ने एक चीनी-मिट्टी का कटोरा तोड़ दिया है ।  कल तुम आश्चर्य कर रहे थे कि उससे कोई…

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नयी चीज़ का डर

मधुर मां,  हम प्रायः कोई नयी चीज करने से डरते हैं, शरीर नये तरीके से क्रिया करने से इन्कार करता…

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युवकों को आह्वान

पहली शर्त है, अपने निजी हितों को लक्ष्य न बनाओ। पहले गुण जिनकी जरूरत है वे हैं : बहादुरी, साहस…

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दूसरों पर नियंत्रण

१. दूसरों पर नियन्त्रण रख सकने के लिए स्वयं अपने ऊपर पूर्ण नियन्त्रण पाना अनिवार्य शर्त है। २. कोई पसन्द…

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कठिन घड़ियाँ

धरती पर कठिन घड़ियाँ मनुष्यों को अपने तुच्छ निजी अहंकार को जीतने और सहायता तथा प्रकाश के लिए केवल भगवान…

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मन और प्राण की प्रगति

अगर मन, प्राण और शरीर का पुनर्जन्म नहीं होता, केवल चैत्य ही फिर से जन्म लेता है तो मन, प्राण…

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स्वप्न

मधुर मां,   हम स्वप्न में अच्छे और बुरे में कैसे फर्क कर सकते हैं? सिद्धान्त रूप में, नींद के…

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“यह रही में।”

प्रभो, मैं तेरे सम्मुख हूं, दिव्य ऐक्य की धधकती अग्नि में प्रज्वलित हवि की तरह हूँ।... और इस तरह जो…

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श्रीमाँ की सलाह

हमेशा भगवान् की उपस्थिति में ही निवास करो इस अनुभूति में रहो कि यह उपस्थिति ही तुम्हारी प्रत्येक क्रिया को…

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व्यर्थ की बक-बक

स्वयं मुझे अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और…

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