
आधार
सोचो कि ” माँ मुझसे प्यार करती हैं और में माँ का हूँ ।” इस विचार को यदि तुम अपने जीवन का आधार बना लो...
सोचो कि ” माँ मुझसे प्यार करती हैं और में माँ का हूँ ।” इस विचार को यदि तुम अपने जीवन का आधार बना लो...
प्रश्न : लोगों में ऐसा विश्वास है कि यदि कोई, जिसने अपने पूरे जीवन में भगवान को याद नहीं किया हो, पर केवल मृत्यु के...
जब कोई आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करता है तो पारिवारिक बंधन, जो सामान्य प्रकृति की चीज़ है, विलीन हों जाता है — मनुष्य सभी पुरानी...
मनुष्यों के लिए मैं उस शांति की मांग कर रहा हूं जो कभी असफल न होगी, धरती के लिए मैं अक्षत, कालातीत परमानंद की मांग...
तुम यह भूल जाते हो कि मनुष्य अपने स्वभाव में विभिन्न होते हैं और इसलिये प्रत्येक व्यक्ति अपने निजी तरीके से साधना में आयेगा —...
अविश्वासी मन सर्वदा संदेह करता है, क्योंकि वह समझ नहीं सकता; परन्तु भगवत्-प्रेमी का विश्वास जानने के लिये आग्रह करता है यद्यपि समझ नहीं पाता।...
आपने कहा है कि गलत गति का दमन करने से वह बस दब जाती है, यदि उसे पूरी तरह निकालना हो तो उसे एकदम त्यागना...
सारा जीवन ही धर्मक्षेत्र है, संसार भी धर्म है। केवल आध्यात्मिक ज्ञानलोचना और शक्ति की भावना धर्म नहीं, कर्म भी धर्म है। यही महती शिक्षा...
यदि किसी को निकट आंतरिक संबंध प्राप्त हो तो वह माताजी को सदैव अपने पास और अंदर तथा चारों ओर अनुभव करता है और उससे...
सत्ता के पूर्ण आध्यात्मिक जीवन के लिये तैयार हों जाने से पहले सांसारिक जीवन का त्याग करना लाभदायी नही होता। ऐसा करने का अर्थ है...