
पूर्ण जीवन की ओर
यदि मनुष्य जीवन को कम गंभीरतापूर्वक लें तो वे बहुत शीघ्र उसे अधिक पूर्ण बना सकेंगे। भगवान् कभी अपने कार्य को गम्भीरतापूर्वक नहीं लेतें; इसलिए...
यदि मनुष्य जीवन को कम गंभीरतापूर्वक लें तो वे बहुत शीघ्र उसे अधिक पूर्ण बना सकेंगे। भगवान् कभी अपने कार्य को गम्भीरतापूर्वक नहीं लेतें; इसलिए...
यदि तुम निर्बलता के विचार को दूर फेंक दो तो शक्ति लौट आएगी। किन्तु प्राणमय भौतिक सत्ता में सदा ही कोई ऐसी चीज़ होती है,...
उनकी कृपा का स्पर्श कठिनाई को सुयोग में, विफलता को सफलता में और दुर्बलता को अविचल बल में परिणत कर देता है । भगवती माँ...
समाजवादी चाहते हैं पूंजीवाद को खत्म करना, किन्तु ऐसा न करना बेहतर होगा। वे राष्ट्रीय संपत्ति के स्तोत्र हैं। उन्हें राष्ट्र के हित में खर्च...
भगवान के तरीके मानव-मन के तरीकों जैसे नहीं है या हमारे आदर्शों के अनुरूप नहीं होते और उनके विषय में निर्णय करना या भगवान के...
परम श्रद्धा वह है जो सबके अन्दर ईश्वर को देखती है और उस श्रद्धा के नेत्र के लिए अभिव्यक्ति तथा अनभिव्यक्ति एक ही परमेश्वर हैं...
सभी प्रकार की आसक्ति साधना में बाधक होती है । सबके कल्याण की कामना, सब के लिए अंतरात्मा की दया का होना तो ठीक है,...
साधना के दौरान इस तरह की थकान कई कारणों से आ सकती है : १. शरीर जितना ले सकने के लिए तैयार हो उससे ज़्यादा...
जिस चीज़ से मनुष्य डरता है, वह तब तक आते रहने की प्रवृत्ति रखती है, जब तक की मनुष्य सीधे उसके सामने ताकने की और अपनी...
यदि किसी को ध्यान का अभ्यास न हो तो आरम्भ में ही दीर्घकाल तक ध्यान लगाकार श्रांत होने की कोई आवश्यकता नहीं है ; क्योंकि...