
जगद-गुरु
. . . किसी एक ही रचना पर जोर देने से वह कठोरता आ जाती है जो भूतकाल में भारतीय समाज और उसकी सभ्यता पर...
. . . किसी एक ही रचना पर जोर देने से वह कठोरता आ जाती है जो भूतकाल में भारतीय समाज और उसकी सभ्यता पर...
… दिव्य शक्ति न केवल प्रेरणा देती है और पथ प्रदर्शन करती है, बल्कि तुम्हारें सभी कर्मों का सूत्रपात करती और उन्हें सम्पन्न भी करती...
“श्रद्धा के साथ जो कोई भक्त मेरे जिस किसी रूप को पूजना चाहता है, मैं उसकी वही श्रद्धा उसमें अचल-अटल बना देता हूँ। ” वह...
यह सोचना भूल है कि एक विचार अथवा संकल्प केवल तभी प्रभाव डाल सकता है जब वह वचन या कर्म में अभिव्यक्त किया जाता है...
केवल थे सुरक्षित जिन्होने सँजोये रखा भगवान को अपने हृदय में अपने: साहस की ढाल और श्रद्धा का लेकर कृपाण, उन्हें चलना होगा , भुजाएँ...
हमारी असमर्थता के भाव ने ही अंधकार का अन्वेषण किया है। वास्तव में ‘प्रकाश’ के सिवाय और कुछ नहीं हैं। यह तो बेचारी मानव दृष्टि...
वे माँ के बालक हैं और उनके सबसे निकट हैं जो उनकी और उद्घाटित हैं, अपनी आंतरिक सत्ता में उनके समीप हैं, उनकी इच्छा के...
उस कार्य को करने के लिए ही हमने जन्म किया ग्रहण, कि जगत को उठा प्रभु तक ले जाएं, उस शाश्वत प्रकाश में पहुंचाएँ, और...
सागर के समान अपनी करुणा औ’ मन्दिर की-सी नीरवता को लेकर उसकी आन्तर सहायता, सबके ही लिए द्वार अब दीव का खोल रही थी ;...