
प्रभु द्वारा लिखित कुछ …
यह लगभग तीन दशक पूर्व की बात है। मुझे रह-रहकर बहुत मानसिक पीड़ा होती थी कि मुझे कभी श्रीअरविंद के दर्शन क्यों नहीं हुए। एक...
यह लगभग तीन दशक पूर्व की बात है। मुझे रह-रहकर बहुत मानसिक पीड़ा होती थी कि मुझे कभी श्रीअरविंद के दर्शन क्यों नहीं हुए। एक...
एक बार कृष्णा आदिनाथ ने स्वप्न में श्रीअरविंद के दर्शन किये । उस समय वे तरुण लग रहे थे, दाढ़ी और मूंछ भी नहीं थीं...
एक बार बीरेन के एक मित्र आश्रम आए। वे बीरेन के लिए बर्मा टीक की एक आराम कुर्सी बनवा कर लाए। बीरेन ने श्रीअरविंद से...
आश्रम के एक साधक विश्वजीत ताल्लुकदार को साधु-संतों से मिलने का बहुत शौक था। अतः वे प्रतिवर्ष भारत भ्रमण करके साधु-संतों से भेंट करते थे।...
श्रीअरविंद के एक शिष्य बापालाल एक भूतहे घर में रहते थे। उस घर में रहने वाला शैतान भूत अक्सर घर की वस्तुएँ गायब कर देता...
युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः अवतार लेते हैं और युग...
२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में केवल तीन बार और बाद...
श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस कुर्सी पर सो जाती थी...
श्री पृथ्वीसिंह नाहर की पुत्रवधू राजसेना अपने तीन नन्हें-मुन्नों को लेकर आश्रम में रहती थीं। एक दिन उसकी तीन वर्षीया पुत्री लूसी अपनी सहेली गौरी...
सांसारिक जीवन का परित्याग करने से पहले साधू बनमालीदास बिहार में जज थे। बाद में उन्होने नर्मदा के तट पर एक छोटा-सा आश्रम बना लिया...