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आश्वासन
देखा है जिन्होने मुझे, कभी न संतप्त वे। संदर्भ : सावित्री
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सावित्री अमृत-१
जो मन की पहुँच से अति परे है मैं वह परम गुह्यता हूं, सूर्यों की श्रमसाध्य परिक्रमाओं की मैं लक्ष्य हूं; मेरी ज्वाला और माधुर्य...
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आन्तरिक तथा बाह्य संपर्क
श्रीमाँ के साथ आन्तरिक संपर्क बढ़े – जब तक वह न होगा, बाहरी संपर्को की बहुलता के द्वारा आसानी से अपने जीवन के उसी समान...
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दर्शन दिवस संदेश -१५ अगस्त २०१७ (श्रीअरविंद का जन्मदिवस)
जीवन की भांति योग में भी वही मनुष्य जो प्रत्येक पराजय एवं मोहभंग के सामने तथा समस्त प्रतिरोधपूर्ण, विरोधी ओर निषेधकारी घटनाओं एवं शक्तियों के समक्ष...
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रहस्य-ज्ञान-१५
संकुचित अनुभव की एक संकीर्ण झालर सम इस जीवन को जो हमारी बांट में आया है, पीछे छोड़ देते हैं, अपने लघु विहारों को, अपनी...
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रहस्य-ज्ञान-१४
मन जिसे जानता नहीं था ऐसे सत्य ने अपना मुख प्रकटा दिया तब हम वह श्रवण कर सकते हैं, जो नश्वर कानों ने पहले कभी...