घर और काम में साधना
तुम्हारें लिए यह बिल्कुल संभव है कि तुम घर पर और अपने काम के बीच रह कर साधना करते रहो – बहुत से लोग ऐसा...
तुम्हारें लिए यह बिल्कुल संभव है कि तुम घर पर और अपने काम के बीच रह कर साधना करते रहो – बहुत से लोग ऐसा...
जब चैत्य शरीर से विदा लेता है, अपने विश्राम-स्थल की ओर जाते हए मन और प्राण की केंचुली को भी झाड़ता जाता है, उस समय,...
(अधिकतर साधक) अहंकारी होते हैं और वे अपने अहंभाव को अनुभव या स्वीकार नहीं करते। उनकी साधना में भी ‘मैं’ का भाव हमेशा प्रत्यक्ष रूप...
यदि चैत्य पुरुष की प्रकृति जाग्रत हो जाए, अपने पीछे विद्यमान माताजी की चेतना और शक्ति के द्वारा तुम्हारा पथ-प्रदर्शन करे तथा तुम्हारे अंदर कार्य...
भागवत चेतना की विभिन्न अवस्थाएँ होती हैं। रूपांतर की भी विभिन्न अवस्थाएँ होती है। पहली है, चैत्य रूपांतर, जिसमें चैत्य चेतना के द्वारा सभी कुछ...
मन हमेशा सक्रिय रहता है, किन्तु हमलोग पूरी तरह से यह नहीं देखते कि यह क्या कर रहा है, पर हम अपने-आपको सतत सोच-विचार के...
अधः लोक की अन्ध शक्तियाँ अब भी किन्तु प्रबल हैं। आरोहण की गति धीमी है, लम्बा बहुत समय है। तब भी सत्य उठेगा ऊपर, तब...
मनुष्य को जो कुछ उसे मिलता है उससे संतुष्ट रहना चाहिये फिर भी शांत- रूप से, बिना संघर्ष के, और अधिक पाने के लिये अभीप्सा करनी...
ध्यान का भारतीय भाव व्यक्त करने के लिए अंग्रेजी में दो शब्दों का प्रयोग किया जाता है, “मेडिटेशन” तथा “कण्टेम्पलेशन”। ‘मेडिटेशन’ का समुचित अर्थ है विचारों...
मनुष्य अपनी वास्तविक प्रकृति में… एक आत्मा है जो मन, प्राण तथा शरीर का उपयोग व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अनुभव के लिए और विश्व में आत्माभिव्यक्ति...