प्रार्थना कैसे करें ?
भगवान हृदय में देखते हैं और जब समझते हैं कि अब ठीक समय आ गया है, तब पर्दा हटा देते हैं। तुमने भक्ति के सिद्धान्त...
भगवान हृदय में देखते हैं और जब समझते हैं कि अब ठीक समय आ गया है, तब पर्दा हटा देते हैं। तुमने भक्ति के सिद्धान्त...
यह समझो कि तुम्हारा जीवन तुम्हें केवल भागवत कर्म के लिए और भागवत अभिव्यक्ति में सहायता देने के लिए दिया गया है। पवित्रता, शक्ति, प्रकाश,...
आपने लिखा था, “काम में रस होना चाहिये। ” लेकिन मैं पूर्ण रस या मजा नहीं ले पाता। कार्य की उत्तम अवस्था है कि तुम...
आश्रम का परिवेश, उसकी सीमाएं क्या हैं ? वह प्रत्येक घर जिसमें साधक रहते हैं आश्रम की सीमा के अंदर हैं । बड़ी अजीब बात...
…विनम्रता पहली आवश्यकता है, क्योंकि जिसमें अहंकार और घमण्ड है वह परम या उच्चतम की सिद्धि नहीं पा सकता। संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र
यह कहा जा सकता है कि मैं पूर्णयोग कर रहा हूँ ? प्रत्येक व्यक्ति जो श्रीमाँ की ओर मुड़ा है, हमारा योग कर रहा है...
न कोई आनंद, न बल। पढ़ने-लिखने की इच्छा भी नहीं होती-मानो कोई मुर्दा आदमी चल – फिर रहा हो। आप समझ रहे हैं मेरी स्थिति...
भगवान के साथ सम्बंध स्थापित करना योग है, परम आनंद है तथा श्रेष्ठतम उपयोगिता है। मानवता की पहुँच के अंदर हम लोगों ने भगवान के...
मैंने देखा मेरी आत्मा है एक यात्री , काल के आर-पार ; जीवन, प्रति जीवन करती ब्रह्मांड-पथ पर पद-सञ्चार, अतलान्तों में प्रछन्न और शिखरों पर...
जो जीव नग्न और लज्जाविहीन होता है केवल वही पवित्र और निर्दोष हो सकता है, ठीक जैसे कि मानवता के आदिम बगीचे में आदम था।...