हमारी मानव चेतना में ऐसी खिड़कियाँ हैं जो शाश्वत में खुलती हैं । लेकिन मनुष्य साधारणत: इन खिड़कीयों को सावधानी…
अगर हम अपरिहार्य रूप से अपनी व्यक्तिगत चेतना की चारदीवारी में बंद होते तो यह सचमुच दु:खद और अभिभूत करने…
शायद मधुर माँ मुझसे किसी कारण नाराज हैं । में बेचैन हूँ । मैं बिलकुल नाराज नहीं हूँ। लेकिन कैसी…
... यदि तुम एक सामान्य व्यक्ति हो हो और यदि तुम कष्ट उठाओ और पद्धति से परिचित होओ तो, तुम्हारा…
प्रश्न : मन मे वाद-विवाद को कैसे रोका जाये ? पहली शर्त है जितना हों सके उतना कम बोलो…
व्यवस्था हम अवश्य करें, किन्तु व्यवस्था या नियम बनाने और उसके पालन में भी हमें सदा इस सत्य पर दृढ़…
अधिकतर मनुष्यों की आध्यात्मिक उन्नति बाह्य आश्रय की, अर्थात् उनसे बाहर विद्यमान किसी श्रद्धास्पद वस्तु की अपेक्षा करती है। उन्हें…
जीवन की कठिन घड़ियों में हर एक का अत्यावश्यक कर्तव्य है भगवान के प्रति समग्र, अप्रतिबंध आत्म निवेदन में अपने…