वासुदेवः सर्वम् इति का यही अर्थ है कि यह सारा जगत् भगवान् है, इस जगत् में जो कुछ है और…
जो कुछ ग्रहणशील नहीं है वह सब कुचले जाने का अनुभव करता है, लेकिन जो ग्रहणशील है वह इसके विपरीत…
विजय की प्राप्ति न केवल बलिदान से, न त्याग से, न ही निर्बलता से होती है। वह केवल ऐसे दिव्य…
मधुर मां, योग और धर्म में क्या अन्तर है? आह ! मेरे बच्चे... यह तो ऐसा है मानों तुम मुझसे…
अपनी दुर्बलताओं तथा मिथ्या गतियों को पहचानना और उनसे पीछे हटना मुक्ति की ओर जाने का मार्ग है। किसी अन्य…
(भय पर श्रीअरविन्द के एक सूत्र के बारे में बतलाते हुए श्रीमां ने कहा : ) ...उन लोगों को भी,…
मधुर मां, अन्तरात्मा की क्या भूमिका है? अन्तरात्मा के बिना तो हमारा अस्तित्व ही न होगा! अन्तरात्मा वह है…
बस, इसी श्रद्धा को तुम्हें अपने अन्दर विकसित करने की आवश्यकता है-युक्ति-तर्क और साधारण समझ के साथ मेल खाने वाली…
प्रकृति में एक ऊपर उठने वाला विकास है जो पत्थर से पौधों में और पौधे से पशु में तथा पशु…
केवल दुर्बल लोग ही उत्तेजित रहते हैं, जैसे ही कोई सचमुच प्रबल बन जाता है वह शांतिपूर्ण, स्थिर, अचंचल बन…