हर चीज़ सबकी है। यह कहना या सोचना : “यह चीज़ मेरी है”, एक ऐसा अलगाव पैदा करता है, एक ऐसा भेद लाता है जो वास्तविकता में नहीं है। हर चीज़ सबकी है, यहाँ तक कि हम जिस द्रव्य से बने हैं वह भी सबका है। यह परमाणुओं का एक भँवर है जो हमेशा घूमता रहता है। वह किसी का हुए बिना क्षणिक रूप में आज के लिए हमारे संघटन को गठित करता है, कल वह कहीं और होगा।…
जो कहते हैं : “यह विचार मेरा है”, और जो सोचते हैं कि वे औरों को उससे लाभ उठाने देते हैं, यह उनकी उदारता है-वे मूर्ख हैं। विचारों का जगत् सबका है; बौद्धिक शक्ति वैश्व शक्ति है।
संदर्भ : पहले की बातें
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…