हर चीज़ सबकी है। यह कहना या सोचना : “यह चीज़ मेरी है”, एक ऐसा अलगाव पैदा करता है, एक ऐसा भेद लाता है जो वास्तविकता में नहीं है। हर चीज़ सबकी है, यहाँ तक कि हम जिस द्रव्य से बने हैं वह भी सबका है। यह परमाणुओं का एक भँवर है जो हमेशा घूमता रहता है। वह किसी का हुए बिना क्षणिक रूप में आज के लिए हमारे संघटन को गठित करता है, कल वह कहीं और होगा।…
जो कहते हैं : “यह विचार मेरा है”, और जो सोचते हैं कि वे औरों को उससे लाभ उठाने देते हैं, यह उनकी उदारता है-वे मूर्ख हैं। विचारों का जगत् सबका है; बौद्धिक शक्ति वैश्व शक्ति है।
संदर्भ : पहले की बातें
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…