हर चीज़ सबकी है। यह कहना या सोचना : “यह चीज़ मेरी है”, एक ऐसा अलगाव पैदा करता है, एक ऐसा भेद लाता है जो वास्तविकता में नहीं है। हर चीज़ सबकी है, यहाँ तक कि हम जिस द्रव्य से बने हैं वह भी सबका है। यह परमाणुओं का एक भँवर है जो हमेशा घूमता रहता है। वह किसी का हुए बिना क्षणिक रूप में आज के लिए हमारे संघटन को गठित करता है, कल वह कहीं और होगा।…
जो कहते हैं : “यह विचार मेरा है”, और जो सोचते हैं कि वे औरों को उससे लाभ उठाने देते हैं, यह उनकी उदारता है-वे मूर्ख हैं। विचारों का जगत् सबका है; बौद्धिक शक्ति वैश्व शक्ति है।
संदर्भ : पहले की बातें
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…