हमारी वास्तविक सत्ता तथा इसके यन्त्र

मनुष्य अपनी वास्तविक प्रकृति में… एक आत्मा है जो मन, प्राण तथा शरीर का उपयोग व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अनुभव के लिए और विश्व में आत्माभिव्यक्ति के लिए करती है। यह आत्मा एक असीम सत्ता है किन्तु व्यक्तिगत अनुभव के लिए अपनी बाहरी सत्ता में स्वयं को सीमित कर लेती है। यह एक असीम चेतना है पर सत्ता के विविध ज्ञान और विविध शक्ति के आनन्द के लिए स्वयं को चेतना के सीमित रूपों में परिभाषित कर लेती है। यह सत्ता का एक असीम आनन्द है पर स्वयं को और अपनी शक्तियों को प्रसारित करती और सिकोड़ देती है और स्वयं को संगोपित करती, खोज करती हुई, अस्तित्व के अपने आनन्द की अनेक शैलियों को सूत्रबद्ध करती है। यहां तक कि अपनी निजी प्रकृति को बाहरी तौर पर तमाच्छादित करती हुई स्वयं को पूरी तरह नकार देती है। यह अपने-आपमें शाश्वत सच्चिदानन्द है, किन्तु जटिलता का यह पक्ष, अनन्त का सान्त में उलझन और सुलझन का यह पक्ष-इसे हम वैश्व तथा वैयक्तिक प्रकृति में ग्रहण करते हुए देखते हैं। शाश्वत सच्चिदानन्द की, हमारी अन्तरस्थ सत्ता के इस तात्त्विक पुरुष की खोज करना और उसमें निवास करना ही ऐसा स्थिर आधार है जिसमें हम इसकी सच्ची प्रकृति को व्यक्त कर सकते हैं तथा अपने यन्त्रों-अतिमानस, मानस, प्राण तथा शरीर में निवास करने की भागवत विधि का सृजन कर सकते हैं। आध्यात्मिक पूर्णता का यही सक्रिय सिद्धान्त है।

अतिमानस, मानस, प्राण तथा शरीर-ये ही चार यन्त्र हैं जिनका उपयोग आत्मा प्रकृति की कार्य-प्रणाली में अपनी अभिव्यक्ति के लिए करती है।

संदर्भ : योग समन्वय

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…

% दिन पहले

श्रीमाँ का कार्य

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…

% दिन पहले

भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह…

% दिन पहले

जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ना

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…

% दिन पहले

आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…

% दिन पहले