साधक का अंतिम लक्ष्य क्या होना चाहिये? क्या योगी बनना नहीं होना चाहिये ?
भगवान के साथ पूर्ण रूप से संयुक्त रहना अंतिम लक्ष्य है । जब की किसी प्रकार से भी भगवान के साथ निरंतर संयुक्त रहता है, उसे योगी कहा जा सकता है; किन्तु इस सन्यूक्ति या ऐक्य को सम्पूर्ण बनाना होगा। कुछ योगी केवल आध्यात्मिक स्तर पर संयुक्त रहते हैं, कुछ मन तथा हृदय में संयुक्त रहते हैं, कुछ प्राण में भी। हमारे योग में हमारा लक्ष्य भौतिक चेतना में तथा अतिमानसिक स्तर पर भी संयुक्त रहना हैं ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…