जब हमारे अंदर का ज्ञान नया होता है तब वह अजेय होता है; जब वह पुराना हो जाता है तब वह अपना गुण खो देता है। ऐसा इस कारण होता है कि भगवान सर्वदा आगे की ओर बढ़ते रहते हैं ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…