चेतना के परिवर्तन द्वारा वस्तुओं की बाहरी प्रतीतितियों से निकल कर उनके पीछे की सच्चाई में जाना समस्त योग का लक्ष्य है। उसके साथ किसी भी तरह का ऐक्य या घनिष्ठता अथवा सहभागिता में प्रवेश समस्त योग का समान उद्देश्य है ।
संदर्भ : श्रीअरविंद (खण्ड-१२)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…