श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

‘समय’ मित्र कैसे होता है ?

जब तुम अधीर हो उठो और अपने-आपसे कहो : “आह, मुझे यह करने में सफल होना चाहिये। लेकिन मैं यह करने में सफल क्यों नहीं होता?” और जब तुम उसे करने में तुरंत सफल नहीं होते और निराश हो जाते हो, तो समय तुम्हारा दुश्मन होता है। लेकिन जब तुम अपने-आपसे कहो : “ठीक है, इस बार मैं सफल नहीं हुआ, मैं अगली बार सफल होऊंगा, मुझे विश्वास है एक-न-एक दिन मैं इसे कर लूंगा” तब समय तुम्हारा मित्र हो जाता है।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५५

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले