एक चीज़ जो महत्वपूर्ण है वह है – आन्तरिक मनोभाव को बनाये रखना और सभी बाहरी परिस्थितियों से मुक्त होकर श्रीमाँ के साथ आन्तरिक संपर्क को प्रतिष्ठित करना। यही चीज़ सभी आवश्यक चीजों को ले आती है । जो लोग योग में गंभीर पैठे हुये है वे वे नहीं हैं जो माँ के पास भौतिक रूप से बने रहते हैं। कुछ ऐसे हैं जो सतत रूप से उनके करीब रहते हैं और दूसरे ऐसे भी हैं जो प्रणाम तथा ध्यान में आने के अतिरिक्त उनसे बस साल में एक ही बार मिला करते हैं ।
संदर्भ : माताजी के विषय में
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…