एक चीज़ जो महत्वपूर्ण है वह है – आन्तरिक मनोभाव को बनाये रखना और सभी बाहरी परिस्थितियों से मुक्त होकर श्रीमाँ के साथ आन्तरिक संपर्क को प्रतिष्ठित करना। यही चीज़ सभी आवश्यक चीजों को ले आती है । जो लोग योग में गंभीर पैठे हुये है वे वे नहीं हैं जो माँ के पास भौतिक रूप से बने रहते हैं। कुछ ऐसे हैं जो सतत रूप से उनके करीब रहते हैं और दूसरे ऐसे भी हैं जो प्रणाम तथा ध्यान में आने के अतिरिक्त उनसे बस साल में एक ही बार मिला करते हैं ।
संदर्भ : माताजी के विषय में
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…