… असल में, जब तक कोई भी सन्देह या हिचकिचाहट रहती है, जब तक तुम यह जानने के लिए अपने-आपसे प्रश्न करते हो कि शाश्वत
आत्मा से तुम्हारा साक्षात्कार हुआ है या नहीं, तब तक यह प्रमाणित होता है कि सच्चा सम्पर्क अभी तक नहीं हो पाया है। क्योंकि, जब यह अद्भुत
घटना घटती है तो वह अपने साथ ऐसा “कुछ” ले आती है जो इतना अनिर्वचनीय, इतना नवीन और इतना निर्णायक होता है कि शंका या प्रश्न
की गुंजायश ही नहीं रह जाती। यह सचमुच, शब्दश: नव-जन्म होता है।
… तुम्हें दिलासा देने के लिए मैं इतना कह सकती हूं कि तुम्हारे इस समय धरती पर जीने के तथ्य-भर से-चाहे तुम इसके बारे में सचेतन
होओ या नहीं, चाहे तुम इसे चाहो या नहीं-तुम हर सांस के साथ इस नये अतिमानसिक तत्त्व को आत्मसात् कर रहे हो जो इस समय पार्थिव
वायुमण्डल में फैल रहा है। और वह तुम्हारे अन्दर उन वस्तुओं को तैयार कर रहा है जो तुम्हारे निर्णायक कदम उठाते ही एकदम एकाएक
अभिव्यक्त होगी।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९५७-१९५८)
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