यह निश्चित है कि बिना किसी कष्ट के सत्य बोल सकने के लिये सबसे अच्छा ढंग है कि हम अपना व्यवहार सदा इस प्रकार रखे कि हमें अपना कोई भी कार्य छुपाना न पड़ें। इसके लिये प्रतिक्षण हमें यह याद रखना चाहिये कि हम भगवान के सम्मुख हैं। कारण, वचन की सच्चाई कार्य की सच्चाई की मांग करती है। सच्चा मनुष्य वह है जो अपने वचन और कर्म से सब पाखंड को निकाल देता है।
संदर्भ : पहले की बातें
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…