कोई संगठन ठीक तरीके से चलें इसके लिए आवश्यक शर्तें है कि एक स्पष्ट और यथार्थ दृष्टि हो कि क्या करना है, और उसें कार्यान्वित करने के लिए स्थिर, शांत और दृढ़ इच्छा-शक्ति हो । और एक सामान्य नियम के अनुसार औरों से उन गुणों की मांग न करो जो स्वयं तुम्हारे अंदर नहीं है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…