कोई संगठन ठीक तरीके से चलें इसके लिए आवश्यक शर्तें है कि एक स्पष्ट और यथार्थ दृष्टि हो कि क्या करना है, और उसें कार्यान्वित करने के लिए स्थिर, शांत और दृढ़ इच्छा-शक्ति हो । और एक सामान्य नियम के अनुसार औरों से उन गुणों की मांग न करो जो स्वयं तुम्हारे अंदर नहीं है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
जो लोग इस कारण यातना भोगते हैं कि उन्हें किसी तथाकथित संन्यासी से परिचित होने…
तुम दुःखी, बहुत उदास, निरुत्साहित और अप्रसन्न हो जाते हो : "आज चीज़ें अनुकूल नहीं…
मैं तुम्हें एक चीज की सलाह देना चाहती हूँ। अपनी प्रगति की इच्छा तथा उपलब्धि…