श्रीमाँ की ओर खुले रहने का तात्पर्य है बराबर शांत-स्थिर और प्रसन्न बने रहना तथा दृढ़ विश्वास बनाये रखना न कि चंचल होना, दुःख करना या हताश होना, अपने अंदर उनकी शक्ति को कार्य करने देना जो तुम्हारा पथ- प्रदर्शन कर सके, ज्ञान,शांति और आनंद दे सके । अगर तुम अपने को खुला न रख सको तो फिर उसके लिये निरंतर पर खूब शांति से यह अभीप्सा करो कि तुम उनकी ओर खुल सको ।
सन्दर्भ : माताजी के विषय में
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