मधुर माँ,
क्या नींद में अपने ऊपर पूरी तरह नियंत्रण पाना संभव है ? उदाहरण के लिए, क्या मैं आपको जब चाहूं अपने स्वप्नों में देख सकती हूं?
नींद में नियन्त्रण पूरी तरह सम्भव है और अगर तुम अपने प्रयास में डटी रहो तो वह उत्तरोत्तर आता है। तुम अपने स्वप्न याद करने से शुरू करो,फिर तुम नींद में धीरे-धीरे अधिकाधिक सचेतन बनो और तब तुम न केवल अपने स्वप्नों पर नियन्त्रण पा सकती हो बल्कि नींद में अपनी क्रियाओं का मार्गदर्शन और व्यवस्थापन भी कर सकोगी।
अगर तुम अपनी इच्छा और अपने प्रयास में डटी रहो तो निश्चय ही तुम रात को नींद में मेरे पास आना और मुझे पा लेना सीख जाओगी और
फिर बाद में जो रात को हुआ होगा वह भी याद रख सकोगी।
इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं जिन्हें तुम्हें अभीप्सा और शान्त तथा सतत प्रयास द्वारा विकसित करना होगा।
१. अपने विचार को मेरे पास आने और मुझे पाने की इच्छा पर एकाग्र करो; और फिर इसके पीछे लगी रहो, पहले कल्पना के प्रयास द्वारा और फिर स्थूल और बढ़ते हुए वास्तविक तरीके से, जब तक कि तुम मेरी उपस्थिति में न आ जाओ।
२. जाग्रत् और सुषुप्त अवस्था के बीच एक तरह का पुल स्थापित करो ताकि जब तुम जागो तो तुम्हें याद रहे कि क्या हुआ था। हो सकता है कि तुम तुरन्त सफलता पा जाओ, लेकिन बहुधा इसमें समय लगता है, तुम्हें अपने प्रयास में आग्रहशील रहना चाहिये।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
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