श्रीकृष्ण में निवास करने पर शत्रुता भी प्रेम की ही एक क्रीडा तथा भाइयों का मल्ल्युद्ध बन जाती है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…