मैं श्रीअरविंद से मिलने के लिए भारत आयी। मैं श्रीअरविंद के साथ रहने के लिए भारत में रही। जब उन्होंने अपना शरीर त्याग, तब भी मैं यहाँ रह रही हूँ ताकि उनका काम पूरा करूँ। उनका काम है ‘सत्य’ की सेवा करके मानवजाति को प्रकाश देते हुए धरती पर ‘भागवत प्रेम’ के राज्य को जल्दी लाना।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…