तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक संपूर्ण होंगे उतना ही अधिक तुम कृपापात्र और सुरक्षित होओगे ! और यदि मां भगवती की कृपा और रक्षक हाथ तुम पर हों तो ऐसा क्या है जो तुम्हें स्पर्श कर सके या जिसका तुम्हें भय हो? उसका अल्पांश भी तुम्हें सकल कठिनाइयों, बाधाओं और संकटों के पार कर देगा; उससे पूरे घिरे रहने पर तो, चूंकि वह पथ मां का ही है, तुम अपने पथ पर निरापद चल सकते हो तब तुम्हें किसी संकट की चिंता नहीं, तुम्हें कोई भी वैरता छू नहीं सकती वह चाहे कितनी ही सबल क्यों न हो, इस जगत् की हो या अदृश्य जगत् की । उसका स्पर्श कठिनाई को सुयोग में, विफलता को सफलता में और दुर्बलता को अडिग बल में बदल सकता है । कारण, मां भगवती कीअनुकंपा परमेश्वर की अनुमति है और आज या कल उसका फल निश्चित है, पूर्व निर्दिष्ट, अवश्यंभावी और अनिवार्य है !
सन्दर्भ : माताजी के विषय में
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…