व्यायाम करना और सरल तथा स्वस्थ जीवन जीना अच्छा है, लेकिन शरीर के सचमुच पूर्ण होने के लिए, उसे भागवत शक्तियों के प्रति खुलना चाहिये, केवल भागवत प्रभाव के अधीन होना चाहिये, भगवान् को प्राप्त करने के लिए निरन्तर अभीप्सा करनी चाहिये।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…