यह निश्चित है कि बिना किसी कष्ट के सत्य बोल सकने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम अपना व्यवहार सदा इस प्रकार रखें कि हमें अपना कोई भी कार्य छुपाना न पड़े। और इसके लिए प्रतिक्षण हमें यह याद रखना चाहिये कि हम भगवान के सम्मुख हैं ।
कारण, वचन की सच्चाई कार्य की सच्चाई की भी मांग करती है और सच्चा मनुष्य वह है जो अपने वचन से समस्त असत्य और कर्म से समस्त पाखंड को निकाल बाहर करता है ।
संदर्भ : पहले की बातें
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…